मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव: कड़ा मुकाबला, बढ़ते आरोप और 8 फरवरी का इंतजार

Sagar Arora By Sagar Arora 7 Min Read

उत्तर प्रदेश की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव का मतदान संपन्न हो चुका है और अब सभी की नजरें 8 फरवरी को आने वाले नतीजों पर टिकी हैं। इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और समाजवादी पार्टी (सपा) के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिली है। जहां सपा इस सीट को अपने पास बनाए रखने की कोशिश कर रही है, वहीं भाजपा इसे जीतकर अयोध्या जिले में अपनी पकड़ मजबूत करने की रणनीति बना रही है।

इस चुनाव में कुल 65.25% मतदान हुआ, जिससे साफ है कि मतदाताओं में चुनाव को लेकर जबरदस्त उत्साह था। हालांकि, मतदान के दौरान फर्जी वोटिंग और धांधली के आरोप भी लगे, जिससे यह उपचुनाव और भी चर्चित हो गया। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने चुनाव में धांधली के आरोप लगाए और भाजपा को आड़े हाथों लिया, जबकि प्रशासन ने इन आरोपों को खारिज कर दिया।

अब सवाल यह है कि मिल्कीपुर की जनता किसे चुनेगी? क्या सपा अपनी जीत बरकरार रख पाएगी, या फिर भाजपा यहां नया इतिहास रचेगी? आइए, इस चुनाव की पूरी जानकारी विस्तार से समझते हैं।

मिल्कीपुर विधानसभा सीट: उपचुनाव की जरूरत क्यों पड़ी?

मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव की जरूरत तब पड़ी, जब समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता अवधेश प्रसाद 2024 के लोकसभा चुनाव में फैजाबाद से सांसद चुने गए। सांसद बनने के बाद उन्हें विधायक पद छोड़ना पड़ा, जिससे इस सीट पर उपचुनाव कराना जरूरी हो गया।

यह सीट अयोध्या जिले का हिस्सा है और राजनीतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में यह अयोध्या जिले की एकमात्र विधानसभा सीट थी, जहां भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। यही वजह है कि इस बार भाजपा इसे हर हाल में जीतना चाहती है, जबकि सपा इसे अपने गढ़ के रूप में बचाए रखना चाहती है।

उम्मीदवारों की स्थिति और मुख्य मुकाबला

मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव में कुल 10 उम्मीदवार मैदान में हैं, लेकिन असली टक्कर दो प्रमुख दलों सपा और भाजपा के बीच मानी जा रही है।

समाजवादी पार्टी (सपा) – अजीत प्रसाद
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) – चंद्रभान पासवान

इसके अलावा, बसपा (बहुजन समाज पार्टी) ने इस चुनाव में भाग नहीं लिया है, जबकि कांग्रेस ने अपने गठबंधन सहयोगी सपा का समर्थन किया है। आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) ने भी अपना प्रत्याशी उतारा है, लेकिन मुख्य लड़ाई भाजपा और सपा के बीच ही देखी जा रही है।

मतदान प्रतिशत और मतदाताओं की भागीदारी

मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर इस बार 65.25% मतदान हुआ, जो पिछले चुनावों की तुलना में बेहतर कहा जा सकता है। भारतीय चुनाव आयोग के अनुसार, मतदान सुबह 7 बजे से शाम 5 बजे तक हुआ, और कुल 414 मतदान केंद्रों पर वोट डाले गए।

अगर मतदाताओं की संख्या की बात करें, तो इस चुनाव में 1.93 लाख पुरुष मतदाता, 1.78 लाख महिला मतदाता और 8 थर्ड जेंडर मतदाता थे

चुनाव के दौरान उठे विवाद और धांधली के आरोप

चुनाव प्रक्रिया के दौरान फर्जी वोटिंग, प्रशासनिक पक्षपात और पुलिस द्वारा समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं को परेशान करने जैसे कई आरोप लगे।

अखिलेश यादव ने क्या आरोप लगाए?

फर्जी वोटिंग का आरोप – सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि चुनाव में धांधली की जा रही है और सरकारी तंत्र भाजपा के पक्ष में काम कर रहा है

पीठासीन अधिकारियों पर आरोप – अखिलेश यादव ने चुनाव आयोग और सुप्रीम कोर्ट से अपील की कि वे इस मामले का संज्ञान लें और लोकतंत्र को बचाने के लिए कदम उठाएं। उन्होंने एक स्टिंग ऑपरेशन का ऑडियो क्लिप भी सोशल मीडिया पर शेयर किया, जिसमें कथित तौर पर पीठासीन अधिकारी भाजपा के पक्ष में फर्जी मतदान करवाने की बात कह रहे थे।

पुलिस द्वारा सपा एजेंट को उठाने का मामला – सपा ने एक पोस्ट में आरोप लगाया कि मिल्कीपुर के बूथ नंबर 286 पर पुलिस ने जबरन उनके एजेंट को हटा दिया, जिससे निष्पक्ष मतदान प्रभावित हुआ।

प्रशासन का क्या कहना है?

इन सभी आरोपों को चुनाव आयोग और प्रशासन ने सिरे से खारिज कर दिया। वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि चुनाव पूरी तरह निष्पक्ष और शांतिपूर्ण माहौल में कराया गया और किसी भी प्रकार की धांधली नहीं हुई।

भाजपा और सपा के लिए यह चुनाव क्यों महत्वपूर्ण है?

भाजपा का मकसद – भाजपा के लिए यह चुनाव इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि 2022 में अयोध्या जिले की यह एकमात्र सीट थी, जहां उसे हार मिली थी। इस बार भाजपा इसे जीतकर अयोध्या जिले की सभी सीटों पर कब्जा जमाना चाहती है।

सपा का लक्ष्य – सपा यह सीट बचाकर दिखाना चाहती है कि प्रदेश में भाजपा के खिलाफ माहौल बन रहा है और मतदाता अब बदलाव चाहते हैं। अगर सपा यह सीट हारती है, तो इससे पार्टी का मनोबल टूट सकता है।

लोकसभा चुनाव से पहले संकेत – इस उपचुनाव का परिणाम यह तय करने में अहम भूमिका निभाएगा कि लोकसभा चुनाव 2024 में अयोध्या और उसके आसपास भाजपा मजबूत रहेगी या सपा को बढ़त मिलेगी

8 फरवरी का फैसला: कौन होगा विजेता?

अब सभी की नजरें 8 फरवरी पर टिकी हैं, जब मतगणना होगी और नतीजे सामने आएंगे।

अगर सपा जीतती है, तो यह भाजपा के लिए एक बड़ा झटका होगा और यह संकेत देगा कि अयोध्या में भी सपा का प्रभाव मजबूत है।

अगर भाजपा जीतती है, तो यह उसके लिए बड़ी सफलता होगी और यह दर्शाएगा कि राम मंदिर निर्माण के बाद अयोध्या और आसपास के इलाकों में भाजपा की पकड़ और मजबूत हुई है

हालांकि, जो भी नतीजा आएगा, वह 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए एक अहम संकेत जरूर देगा।

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